Thursday, 28 March 2013

सारा खेल किस्मत-लकीरों का है !!





* 51वीं पोस्ट * कोशिश कुछ शब्दों का खेल !
आपसे नहीं बराबरी , नहीं आपसे कोई मेल !!

किसी की दिल से दिल्लगी !
किसी के दिल को लग गई !!

तुझे हक़ मिला नहीं दिल्लगी का
किसी के दिल से ना खेल
खुद का दिल बहलाने के लिए
की किसी दिन ख़ुदा ने दिल्लगी
तेरी दिल्लगी बन जायेगी दिल की लगी
ना सुखेगे अश्क ,तरसेगा दिल के लगी के लिए

सच का गाँस
गले में डाले फाँस
क्लेश जनक !!

थी वो पत्थर
रूबी-पन्ना सरीखी
मान ना दिया !!

थी ही पत्थर
गढ़ते मन-मूर्ति
ज़ज्बात लगा !!

उदास जिया
भाये न ऋतुराज
लागे वो बैरी !!

रास्ता नहीं आसां
पथरीले डगर
पाने में लक्ष्य !!

ना तेरी  हथेली अलग है
ना उसकी हथेली अलग है
ना प्यार का अंदाज़ अलग है
ना प्यार का ज़ज्बात अलग है

सारा खेल किस्मत-लकीरों का है ?
कोई किसी को क्यूँ कमतर आंकते ?

                                                 
                                    कमतर = निकृष्ट



18 comments:

  1. सचमुच कुछ बातें तो पूर्व निर्धारित होती हैं.

    ReplyDelete
  2. यही जीवन है..... गहरी अभिव्यक्ति लिए पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  3. अद्भुत रचना ..

    ReplyDelete
  4. चाहे अनचाहे किस्मत मानी ही जाती है , मानना ही पड़ जाता है .

    ReplyDelete
  5. बहुत अच्छी रचना....
    हयेकू का समावेश रोचक बना गया...
    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  6. गहन अभिव्यक्ति .....
    सुंदरता से कही मन की बात .....
    हाइकु के साथ विविधता लिए ....
    उत्कृष्ट ...

    ReplyDelete
  7. प्रणाम माँ | आपकी इस सोच पर मैं निशब्द | आगे कुछ भी कहने की गुंजाईश नहीं है अब - "जो जो जब जब होता है सो सो तब तब होता है | होनी बड़ी बलवान निर्धारित दुनिया में सभी के काम |" आपकी इस रचना को मेरा प्रणाम | आभार

    ReplyDelete
  8. थी वो पत्थर
    रूबी-पन्ना सरीखी
    मान ना दिया !!

    बहुत ही बढ़िया हाइकू ....!

    ReplyDelete
  9. रास्ता नहीं आसां
    पथरीले डगर
    पाने में लक्ष्य !!
    बेहतरीन सुंदर रचना,,,
    आपको होली की हार्दिक शुभकामनाए,,,

    Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,

    ReplyDelete
  10. didi aisa likha hai ki lag raha hai age aur kuch kyu nahi kahatm ho gayi lines....interesting,different and tonic of life

    ReplyDelete
  11. आदरणीया माँ जी सादर सुप्रभात बहुत ही सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
  12. Bahut gahri bhavnayein liye panktiyan .

    ReplyDelete
  13. गहन अभिव्यक्ति ... सुन्दर रचना हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  14. किस्मत ही सारे खेल दिखाती है,जो सबके हिस्से आती है ....... बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  15. सुंदर और भावपूर्ण रचना ।

    ReplyDelete
  16. शब्दों की जादूगरी.. कमाल..

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...