Saturday, 8 November 2014

शीत आगमन





1
ठूँठ का मैत्री
वल्लरी का सहारा
मर के जीया।

2
शीत में सरि
प्रीत बरसाती स्त्री
फिरोजा लगे।

3
गरीब खुशियाँ
बारम्बार जलाओ
बुझे दीप को।

4
क्षुधा साधन
ढूंढें गौ संग श्वान
मिलते शिशु।

5
आस बुनती
संस्कार सहेजती
सर्वानन्दी स्त्री।

सर्वानन्दी  = जिसको सभी विषयों में आनंद हो 

6
स्त्री की त्रासदी
स्नेह की आलिंजर
प्रीत की प्यासी।

आलिंजर =  मिटटी का चौड़े मुंह का बर्तन = बड़ा घड़ा


9 comments:

  1. अच्छी प्रस्तुति ! अच्छे हाइकू !

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  2. बहुत सुन्दर हाइकु...

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  3. वाह सभी हाइकू लाजवाब ...

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  4. सुन्दर हाइकु...सभी एक से बढ़ कर एक....

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  5. हाइकू लाजवाब ... लिख रही है आप आजकल .........आभार

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