Thursday 27 August 2015

कन्या पढ़ेंगी भी और उड़ेंगी भी



बात बहुत पुरानी है ..... पर लिखना जरूरी है .....  तब हम रक्सौल में रहते थे ..... मेरे ससुर जी व्यापार मंडल के मैनेजर और मेरे बड़े भैया की सिंचाई विभाग में इंजीनियर की नौकरी वहाँ थी ...... बड़े भैया के बॉस थे ; जिनके घर पहली संतान बेटी हुई , दादी और पिता का व्यवहार उस नन्हीं सी जान और उसकी माता के प्रति अच्छा नहीं था ...... घर में ना पैसों की कमी थी ना लड़कियों की संख्या ज्यादा थी ........ सिंचाई विभाग में कार्य करने वालों के घर में नोटों का बिस्तर होता है ...... बरसात के समय झांगा से बहार कर घर नोट लाते हैं लोग ....
~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ संजोग से उस समय मैं गर्भवती थी ; किसी ने मुझसे मजाक में कहा :-  सोच लीजिये , आपको जो लड़की हुई ............ मेरा जबाब था :- सोचे वो , जो गाय को शेरनी बनते नहीं देखें हैं .......
सब आवाक ...... कहने वाले का मजाक ही था , क्योंकि हमारे घर में लड़का लड़की में कोई फर्क कभी नहीं रहा .... मेरी ननद को एक ही लड़की है और उनकी परवरिश किसी लड़के से कम नहीं हुई है ......

जिसने भी बिल्ली को जनते देखा है , उसके गुर्राने से वाकिफ  होंगे ........ अपने पर माँ आ जाये तो हर बाधा को दूर कर सकती है ........ कन्या भ्रूण में हत्या की पूरी जिम्मेदारी एक स्त्री की मैं मानती हूँ ...... 

__________ एक छत के लिए कितना सहती है स्त्रियाँ
जिस छत के नीचे मान सम्मान अधिकार सुरक्षित नहीं , किस काम की ऐसी छत
___________ छोड़ देना आसान नहीं तो नामुमकिन भी नहीं ऎसी छत
__________ गिरते बिलखते सम्भलते ऊंचाइयों को छूते देखी हूँ , बहुत सी स्त्रियों को ऐसी छत से विलग होकर ......

सभी कन्याओं को ढ़ेरों आआशीष के संग अशेष शुभकामनायें

~~~~|~~~~~|~~~~~

आस की प्यास
हौसले की थपकी
कहो माता मैं हूँ ना
सुरक्षित हो
पढ़ेगी भी बिटिया
उड़ेगी ही बेटियाँ

~~~~~

हम सब कहें न
हम हैं न
है न



3 comments:

  1. Vibhaji ek sachhi baat maibhi bata rahi hu jo haal ki ghatna hai . Ek mahila jisedo betiya thi aur vo bete ki aas me tisari bar ma ban rahi thi lekin use pata chala ki is baar bhi beti hai uske garbh me vo tut gayi . Uske pati garbhpaat ke liye admit kar chuke the lekin jabuska matritv jaga vo sherni ki tarah dahad uthi sab kesab bhag gaye..maine uski himmat ko salam kiya ..kash ssabhi aurte himmat dikha paati.

    ReplyDelete
  2. सही कहा है आपने अपने अस्तित्व को कायम रखना है तो प्रयास भी हमे ही करना होगा … सार्थक विचार ...

    ReplyDelete
  3. समर्थ स्त्री-समर्थ भारत।

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

शिकस्त की शिकस्तगी

“नभ की उदासी काले मेघ में झलकता है ताई जी! आपको मनु की सूरत देखकर उसके दर्द का पता नहीं चल रहा है?” “तुम ऐसा कैसे कह सकते हो, मैं माँ होकर अ...