Saturday 22 August 2015

ह न त



ह न त

समय बदलता ही है ....... पति के कलाई और उँगलियों पर दवाई मलती करमजली सोच रही थी ...... अब हमेशा दर्द और झुनझुनी से उसके पति बहुत परेशान रहते हैं ..... एक समय ऐसा था कि उनके झापड़ से लोग डरते थे ..... चटाक हुआ कि नीला लाल हुआ वो जगह ..... अपने टूटी कान की बाली व कान से बहते पानी और फूटते फूटती बची आँखें कहाँ भूल पाई है आज तक करमजली

ह न त

भूलना ही आसान कहाँ होता है ......
यादों से धूल झड़ना मुश्किल कहाँ होता है ......

ह न त

किसी ने सच कहा है
वक्त वक्त की बात हैं
जल में नाव में गाडी
तो
थल पे गाडी पे नाव

ह न त

4 comments:

  1. यादों से धूल झड़ना मुश्किल कहाँ होता है
    क्या खूब लिखा है.... लाजवाब..!!!

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