Sunday 18 December 2016

षड्यंत्र


असुविधा जनक थी बात
परिवर्तन की हुई शुरुआत
फिर क्यों चल रही हवा घात

बात 1968-1972 के आस पास की है
कभी लठ्ठो वाला आये
कभी मूंगफली वाला आये
कभी बायस्कोप वाला आये
कभी चूड़ीहारन आये
कभी मछली वाला/वाली आये
दादी धान या गेंहू से बदल लेती थीं
खेतों में काम करने वाले मजदूर हों
धोबी हो
नाई हो
कुम्हार हो
भुजा भुजवाना हो
आनाज ही पाते देखी या खेत मिला है बोओ खाओ
मजदूरी करो
यानि कैसलेश दुनिया हमने देखी है
कुछ नया देखें तो कोई बात नई लगे

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