आदत नहीं कभी बहाना बनाना
फुरसताह समझता रहा ज़माना
छिपा रखें कहाँ टोंटी का नलिका
सीखना है आँखों से पानी बहाना
नाक बिदुरना आना बहुत जरूरी होता है
~ कल का पूरा दिन .... कई अनुभवों का उतार चढ़ाव देखते गुजर गया ....
स
अनी
संगीनी
अभिमानी
मैला तटनी
रिश्ते दूध-खून
पिसते नुक्ताचीनी
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भू
उत्स
निपान
सरी सुता
दूध सागर
हिंद का सम्मान
पिता गिरी का दान
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 26 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभारी हूँ _/\_
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
आपके प्रयोग चमत्कृत करते हैं दीदी!!
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी उत्साहवर्द्धक होती है भाई
Deleteआभारी हूँ
बहुत खूब ...
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