निसंदेह गलतफहमियां यूँ होती
स्याह पाये जाते क्या गजमोती
चाँद ! सोच में उभरती ज्योत्स्ना
धवल मक्खन उजास शोभना
स्वर्णिम हुए पूनो बताओ कैसे
रवि से चुराए तेज तुम्हारे जैसे
अक्ल भोथराए कला-कलाएं
मिले अहोरा-बहोरा यात्राएं

टहटह लाल माँग, कजरा, गजरा, बिन्दी, चूड़ी, पायल, बिछिया, मंगलसूत्र, मन्दिर-महलों के लगभग सभी प्रमुख द्वारस्तंभों पर अंकित सोलह शृंगारों के दृश...
आदरणीय दीदी
ReplyDeleteसादर नमन
स्वच्छ और सुन्दर रचना
सादर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 14 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार आपका
Deleteबहुत सुन्दर ।
ReplyDelete