मेरे लिए मुख्य महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसी ने मुझपर विश्वास किया..
बचपन से देखती आयी कि घर का मुख्य द्वार दिन में कभी बन्द नहीं होता था...। रात में भी बस दोनों पल्ला सटा दिया जाता था..। ... बाहर दरवाजे पर पहरेदार होते थे...। धीरे-धीरे समय बदला तो रात में मुख्य दरवाजा अन्दर से बन्द होने लगा। पहरेदार तो अब भी होते हैं लेकिन विश्वास कम हो चला है..। अपार्टमेंट का जमाना आया तो पल्ले के पहले लोहे का दरवाजा लगने लगा है। दिन में भी मुख्य द्वार में सीकड़ साँकल जंजीर कई आभूषण जड़े जा रहे..। पल्ले में लगे आँख के सुराख से झाँकने लगे हैं हम.. । अब चोरी कम डकैती ज्यादा होते हैं...।
'लॉक्ड प्रोफाइल' से फेसबुक सूची में जुड़ने के आमंत्रण से मुझे पहले भी कोई परेशानी नहीं थी.. अपना घर बन्द रखना दूसरों के द्वारा दिया दबाव है..।पत्थर अहिल्या में परिवर्तित सा... आपके स्वीकार करते लॉक्ड प्रोफ़ाइल खुल जा सिम-सिम वाली स्थिति... निरीक्षण के बाद आपके स्तर का नहीं लगे तो ब्लॉक का ऑप्शन.... यही सोच के आधार पर आज पुनः 'लॉक्ड प्रोफाइल' से फेसबुक सूची में जुड़ने के आमंत्रण को स्वीकार करते मैसेंजर हथेली का प्रतीक उभरा और दिखा
विभा का संदेश :- 25/11/15, 7:03 PM का शुभ संध्या
वर्ण पिरामिड विधा लिखती हैं आप ?
प्रभा का सन्देश :- 👋
विभा का संदेश :- कैसी हैं ? छः साल प्रतीक्षा का मेहनताना क्या होगा ?
प्रभा का सन्देश :- अच्छी हूँ दी, आपकी मित्र सूची में पूर्णिमा शर्मा दी को देखा
6 साल प्रतीक्षा... मैंने भी तो कुछ खोया ही, एक अच्छी मित्रता
विभा का सन्देश :- हम परिचित पहले भी थे...
प्रभा का सन्देश :- ह्म्म्म, नंबर दीजिये व्हाट्सएप्प का
पहले से? पर कैसे???
क्या हुआ?
विभा का सन्देश :- सोशल मीडिया के युग और फेसबुक है महोदया... कहीं न कहीं भेंट हुई होगी ... तभी आपसे विधा लेखन का सन्देश दी... मुख्यतया मैं सम्पादक हूँ तो पत्रिका-पुस्तक हेतु सामग्री की तलाश...
प्रभा का सन्देश :-सब कुछ रहस्यमय
व्हाट्सएप्प करिये , भेजती हूँ रचनाएँ
विभा का सन्देश :- अभी पुस्तक के लिए कोरोना पर आधारित और पत्रिका के लिए माँ-पिता और अप्रैल से जून तक आने विषय पर रचनाओं हेतु भटक रही हूँ
lekhymanjoosha@gmail.com
पत्रिका हेतु
प्रभा का सन्देश :- कोरोना पर कई कविताएं हैं, वामा पर अपने मांगी थी भेजती हूँ व्हाट्सएप्प ही कर दूं ?
विभा का सन्देश :-विश्व हिन्दी ज्योति , कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका हेतु कोरोना
vishvahindijyoti@gmail.com
प्रभा का सन्देश :- भेजती हूँ, कुछ और परिचय वगैरह तो नही भेजना?
विभा का सन्देश :- नाम और शहर...
आप अपने फेसबुक प्रोफाइल को लॉक्ड क्यों रखी हैं ?
प्रभा का सन्देश :- अब तो आप मित्र हैं अब कहाँ लॉक है
वैसे 6 साल इंतजार???
संबोघन तो दीजिये श्रीवास्तव महोदया
विभा का सन्देश :- यह तो मुझे पता है कि फेसबुक सूची में जुड़ते प्रोफ़ाइल लॉक्ड नहीं रह जाता है लेकिन जब तक नहीं जुड़ते तब तक प्रोफ़ाइल लॉक्ड होती है... तब तक लॉक्ड रखने के पीछे क्या आधार या मंशा है यह जानना है ?
नवम्बर 2015 में आपको सन्देश दी थी जिसका जबाब अभी भी नहीं दी आप... मार्च 2021 ... 6 साल की ओर अग्रसर
प्रभा का सन्देश :- मैं नई थी, हर सामने वाले को शक से... पता नही कौन असली ID से है और कौन नकली माने तो एक डर था। पर अब अभ्यस्त हूँ । पर एक बात के लिए sure भी कि इतना याद रखना सबके लिए तो नही ही होगा
मुझे याद रखा तो मैं कोई तो हूँ ही...
विभा का सन्देश :- कौन असली आई डी से है कौन नकली आई डी.... यह तब तक पता नहीं चल सकता जब तक आप उनसे या आपका परिचित उनसे मिला ना हो सशारीरिक ? और 6 साल बहुत होता नए को पुराना बनाने के लिए .. साइबर क्राइम करने वाला कोरोना वायरस की तरह है जो रूप बदल लेना आसान... एक वैक्सीन को असफल बना ले रहा
आप विशेष तो हैं
प्रभा का सन्देश :- चलो अच्छा है रिश्तेदार भी निकल ही आऊँगी
विभा का सन्देश :- सम्बोधन उम्र के हिसाब से तय कर लें
और आगे भी बहुत सारी बातों का आदान-प्रदान हुआ... लॉक्ड प्रोफाइल में दो बहनें जो कैद थीं....
लॉक्ड प्रोफ़ाइल की बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
Deleteप्रोफ़ाइल लॉक्ड हो या घर में लटका ताला , जान-पहचान वाले पास से गुजरते हैं देख ही लेते हैं बाहर से, और खबर लेने की जुगत में भी लगे रहते हैं
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteवाह...सही कहा।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह ! रोचक प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह!अलहदा अंदाज है आपका ।
ReplyDeleteअभिनव प्रस्तुति।
दिलचस्प पोस्ट
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