"हाँ! हो गया"
"कैसे हुआ?
"आँगन दो हिस्सा में बाँटना पड़ा तो पशु भी बाँटे गए। उस कारण हमारे हिस्से एक-एक बैल आया। भाई अपने हिस्से का बैल बेचना चाहता था तो उसे मैंने खरीद लिया।"
"अरे वाह! तुम बैल बेचना नहीं चाहते थे, अब तो तुम्हारे पास ही रह गए..!"
"क्या तुम्हारा बेटा किसान बनने के लिए तैयार हुआ?"
"बेरोजगारी दूर करने के लिए नौकरी ना मिलने के कारण अपना धंधा शुरू करना गलत नहीं है .. । पढ़ा-लिखा नौजवान है, देश को आगे बढ़ानेवालों में से एक होकर चलेगा। "
"यानी हमारे अपने खलनायक नहीं हैं..?"
"बिलकुल नहीं! वास्तव में जोखिम तब होता है, जब हमें पता नहीं होता कि हम क्या करना चाह रहे हैं।"
"एक ही आय पर निर्भर न करें, दूसरा स्त्रोत बनाने के लिए निवेश भी करें..!"