उबलते जज्बात पर चुप्पी ख़ामोशी नहीं होती
गमों के जड़ता से सराबोर मदहोशी नहीं होती
तन के दुःख प्रारब्ध मान मकड़जाल में उलझा
खुन्नस में बयां चिंता-ए-हुनर सरगोशी नहीं होती
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वर्ण पिरामिड
तो
वैसा
स कर्म
सोच जैसा
गर्व गुरुता
दंभ से दासता
इंसान स्व भोगता
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स्व
भान
सज्ञान
राष्ट्रगान
अव्यवधान
गणतंत्र मान
वीडियोग्राफी भू की
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 03 फरवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteमुक्तक और वर्ण पिरामिड दोनों ही सुन्दर और सार्थक
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