Monday, 13 February 2017

छल में भी होता है छिपा हित




कोई भी स्वचालित वैकल्पिक पाठ उपलब्ध नहीं है.


"बहुत परेशान दिख रहे हैं सर क्या बात है ? किस बात की चिंता है आपको " ? अपने पदाधिकारी को चिंताग्रस्त मुद्रा में देख अधीनस्थ कर्मचारी ने पूछा
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"कोई विशेष बात नहीं है। बहन की शादी करनी है, तैय नहीं हो पा रही है। ... घर में सबसे बड़े होने की जिम्मेदारी निभा नहीं पा रहा हूँ।
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"अरे बस इतनी सी बात है सर ! समझ लीजिये आपकी चिंता अब खत्म। मेरा भगिना है। आप अपनी बहन की शादी की बात कर सकते हैं मेरी दीदी के घर चल कर। दीदी बहु की खोज में ही है। उनलोगों को , बी.एड की पढ़ाई की हुई लड़की चाहिए।
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बी.एड. मेरी बहन तो स्नातक भी नहीं है। ... मैं तो उसके पढ़ाई पूरी करवाना ही नहीं चाहता था। .. जल्दी से जल्दी केवल शादी कर जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहता था .... 
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समय गुजरता गया ! चाह कर भी लगातार प्रयास करने के बाद भी भाई अपनी बहन की शादी तैय नहीं कर पाया दो सालों में .. और बहन जब स्नातक कर गई तो बी.एड. में नामांकन करवाने के बाद उसी अधीनस्थ कर्मचारी के भगिने से शादी तैय कर दिया
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"आपको पता है न ? मैं नौकरी नहीं करूँगा! लड़की का बी.एड. होना इसलिए अनिवार्य था ताकि वो अपने निजी खर्चों के लिए किसी की मोहताज़ ना हो। सौ रूपये में अच्छे सहयोगी मिल जाएंगे, उन्हें घर के कामों के लिए। इतने रुपयों के लिए कोई केवल घर सम्भाले ,ये तो उचित तो नहीं ? अपने घर पर आये अपने होने वाले साले से सवाल किया 
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"हाँ ! हाँ ! आप निश्चिन्त रहें ! मेरी बहन के लिए भी ख़ुशी की बात होगी कि वो अपने पैरों पर खड़ी होगी। ... उड़ेगी खुला आकाश पा कर
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बहन के शादी के कुछ सालों के बाद बहन की शिक्षिका की नौकरी की बात जब भाई ने चलाई तो बहन के ससुराल वालों साफ़ इंकार कर दिया। .... नौकरी करने कैसे जायेगी? .. बेपर्दा .....
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"मैं नौकरी कर रहा हूँ तो घर पर काम करने के लिए ,मेरे माँ -बाप के सेवा के लिए , बच्चों के लिए किसी क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए ये सोच कर न सवाल उठाना चाहिए था साले साहब 
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बहन-भाई सब कुछ समय की धार में ढूँढ़ने लगे 
समय के साथ बहन को बेटा हुआ ,बेटा बड़ा हुआ और माँ को प्रेरित कर पाठन -लेखन की दुनिया में ला व्यस्त कर दिया ..... तब तक सारे रिश्ते नातों की जंजीर बची कहाँ थी ... 
समय का क्या है .. ना ठहरता है ना छलता है ..... सबके लिए कुछ ना कुछ सोच कर रखा रहता है ..... 


देखो न छल में भी होता है छिपा हित
थमो नहीं राह खुद ढूँढ़नी होती है मीत

शिकवा करके ना मारो कुल्हाड़ी पे पैर






10 comments:

  1. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    छल में
    भी एक
    बल होता है
    बहुत सुन्दर
    सादर

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - भारत कोकिला से हिन्दी ब्लॉग कोकिला और विश्व रेडियो दिवस में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. एक पहलू ये भी सच जिंदगी के ।

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  4. समय का क्या है .. ना ठहरता है ना छलता है ..... सबके लिए कुछ ना कुछ सोच कर रखा रहता है .....
    कटु सत्य।। वाह!!

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  5. कटु सत्‍य । बहुत बढ़ि‍या

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  6. समय के आसपास बनतीं बिगडतीं कहानियाँ ही हमारे जीवन का सच हैं. लघुकथा का शिल्प प्रभावकारी है और यह उद्देश्य को स्पष्टतः हमारे सामने रख देती है.

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  7. समय के आसपास बनतीं बिगडतीं कहानियाँ ही हमारे जीवन का सच हैं. लघुकथा का शिल्प प्रभावकारी है और यह उद्देश्य को स्पष्टतः हमारे सामने रख देती है.

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  8. समय के आसपास बनतीं बिगडतीं कहानियाँ ही हमारे जीवन का सच हैं. लघुकथा का शिल्प प्रभावकारी है और यह उद्देश्य को स्पष्टतः हमारे सामने रख देती है.

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  9. bahatreen lekhan ka mujayra .
    padhke maza aa gaya

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