टूटता तारा-
आस पाए युगल
जकड़े हाथ।
><><
हाँ तो क्यूँ कहा जाता उन्हें चोर
हाथ सफाई दिखलाये जादूगर
कर जाता समान इधर का उधर
लालच पैसे का करता मन मैली
देते लेते शब्दों की सुंदरतम थैली
दौड़ उम्दा सृजनता के चक्कर
दो-दो पंक्तियाँ ले यहाँ-वहाँ से
लो कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा
छपास रचना का खजाना जोड़ा
नकल करने में अक्ल से वंचित
सारा ध्यान तो रहा करने में चोरी
जमीं खिसक गई नभ छूना बलज़ोरी
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अरे सबसे मिट्टी की तुलना क्यूँ
वो भी केवल कच्ची मिट्टी से
रिश्ता मिट्टी का क्यूँ होता है
कुछ हुआ नहीं कि गलने लगता है
पंगा लोगे तो दंगा सहना ही होगा
विमर्श में विवाद उत्पन्न करने का शौक़
व्यंग बोलने वाले शौक़ीन
आभार आपका
ReplyDeleteटूटते रिश्ते मिट्टी ही तो
ReplyDeleteहोते हैं
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-04-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2618 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
प्रभावशाली प्रस्तुति...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत।
बहुत खूब ... क्या बात है :)
ReplyDeleteAchhi Post hai mam
ReplyDeletePublish a Books In India