"हम पशुपतिनाथ मन्दिर जा रहे हैं। क्या आप भी चलेंगे?" अख़्तर से रवि ने पूछा।
नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में भारत से आये प्रतिभागी नेपाल दर्शन को निकले थे।
"मन्दिर के प्रवेश द्वार पर 'गैर हिन्दू का प्रवेश वर्जित' है का बोर्ड लगा हुआ है!" प्रदीप ने कहा
"रमज़ान माह होने के कारण अख़्तर भाई रोजा में हैं... वैसे भी मन्दिर में देवता का स्पर्श हिन्दू को ही कहाँ मिल रहा?" रवि ने तल्खी से कहा।
तभी प्रदीप का फोन टुनटुनाने लगता है और फोन पर बातकर वो बेहद परेशान नजर आता है..
"क्या बात है प्रदीप जी आप बेहद घबराए हुए लग रहे हैं...?" अख़्तर ने पूछा।
"मेरी पत्नी को गहरी चोट लग गयी है। अस्पताल में भर्ती करवा दी गयी है। लेकिन उसको खून देना है और अस्पताल में खून मिल नहीं रहा है.."
"किस ग्रुप का खून है ?" अख़्तर ने पूछा
"बी-नेगेटिव," प्रदीप ने कहा।
"ना तो चिन्ता कीजिये और ना चलने में देरी। मेरा भी खून बी-नेगेटिव है..," अख़्तर ने कहा।
"आप गैर हिन्दू भी हैं और रोजा में भी। आप?" रवि ने कहा।
"आप मुझे शर्मिंदा क्यों कर रहे हैं रवि जी..," प्रदीप जी, अख़्तर के पंजों को कसते हुए कहा।
रिश्ते और अपनेपन का बोध कराती बहुत अच्छी
ReplyDeleteलघुकथा
भगवान तो सबके लिए एक से । धर्म तो बाद में आया इंसान पहले ।।
ReplyDeleteसंदेशपरक लघुकथा ।
इंसानियत देखते हैं कब तक खैर मनाती है
ReplyDeleteइंसानियत सब धर्मों से पर और श्रेष्ठ है..हिन्दू गैर हिन्दू सियासी ढोंग हैं.. एकता एवं भाईचारे का संदेश देती बहुत सुन्दर लघुकथा।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 8 जून 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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पुन: भेंट होगी...
हार्दिक आभार आपका... जल्द ही भेंट होगी
Deleteहिंदू-मुसलमान फितूर के सिवा कुछ नहीं, सौहार्द्र की जड़ों में डाली गयी विष से सींची गयी शाखाएँ हैं परंतु इंसानियत के पेड़ अब भी बहुत सारे बचे हैं जिसके फूल की खुशबू ये सारे सारे भ्रम मिटा सकती है।
ReplyDeleteसंस्मरणात्मक ,संदेशात्मक लघुकथा दी।
प्रणाम
सादर।
असीम शुभकामनाओं के संग सस्नेहाशीष छुटकी
Deleteएक ही रक्त-मज्जा अभी निर्मित हुये हैं सभी मानव।धर्म और राजनीति ने लोगों को अलग-अलग बाँट एक दूसरे से दूर कर दिया है।बहुत ही प्रेरक लघुकथा प्रिय दीदी । यही सभ्य और शिक्षित समाज की पहचान है कि हम तुच्छ बातों से ऊपर उठकर सच्चा मानवतावादी होने का परिचय दें।हार्दिक बधाई और आभार आपका 🙏🙏🌺🌺♥️♥️
ReplyDeleteबहुत सुंदर। ऐसे भी जिस मंदिर में ग़ैर हिंदू का प्रवेश वर्जित है, उस ग़ैर हिंदू मंदिर में ग़लती से देवता भी हिंदू बना दिए गए हैं। अन्यथा भगवान का भी भला कोई मज़हब होता है! हमारे भगवान तो सबके हैं और सबके भगवान हमारे हैं।
ReplyDeleteसुंदर लघु कथा ,धर्म से बढ़ कर कर्म है।
ReplyDeleteमंदिर मस्जिद गिरिजाघर में बाँट दिया इंसान को
ReplyDeleteधरती बाँटी सागर बाँटा मत बाँटो इंसान को।
अत्यंत प्रेरक लघुकथा।