Golph Ground के नज़ारे का आनन्द उठाना हो तो ढ़ाई से साढ़े छ: बजे तक ना जाएँ ....चोट लगने का डर सताता रहेगा .... !!
बारिश का मौसम है .... (^_^)
शाम भी रूहानी है .... (^_^)
तो बातें भी रूमानी हो .... (^_^)
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जब – जब ,
मेरे चेहरे को सहला कर ,
चमकाती है ,
बारिश की बुँदें ….
लगता है सारा जहाँ ,
मेरे मुट्ठी में है ….
कितने गहरे छलके हैं ,
शाम के साए में क्षितिज के रंग ....
उन रंगों से ,
अपने रंगहीन अतीत में ,
रंग भरना चाहती हूँ ....
जैसे ….
रवि ,अवनी के ,
आगोश में पनाह लेता ,
शाम के साए में ....
वैसे ही ….
बदन , जिस्म से मिल जाए ....
उन्हें अपने बाहों में जकड़े रहूँ ,
और सज-संवर जाए जीवन की शाम ....
उन्हें बताना चाहती हूँ ....
नभ में चमकता शाम का अकेला तारा ,
मेरे नुरानी प्रेम का प्रतिरूप है ....
वे आभास दें सुनने का ,मेरे विचारों को ....
रूपहले ख्यालों को …. धुंधलाए अहसासों को ....
अपने प्रियतम के आलिंगन में सिमटना चाहती हूँ .... !!
Rumani Vatavaran Main Ruhani Thouths....
ReplyDeleteThank you .... :)
Deleteबहुत सुन्दर...............
ReplyDeleteभीगी भीगी सी रचना.....
सादर
अनु
अनु,धन्यवाद .... आभार आपका ....
Deleteबारिश की बूँदें जब गिरती लगता जहाँ हमारा है,
ReplyDeleteशाम ढले क्षितिजो के संग प्रियतम मेरा सहारा है......
MY RECENT POST...:चाय....
प्रेम में पगी ... भावमय रचना ..
ReplyDeleteइस रचना के लिए आभार...
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