कोई नहीं पढ़ पाता मेरे अन्दर की ख़ामोशी ....
पति-पत्नी का रिश्ता काफी मधुर होता ....
मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गई
दोनों जहाँ में हमारी मोहब्बत हो जाए मशहूर
दिल - दिमाग की रस्साकस्सी को छोड़
मित्रता का हाथ बढ़ा ,प्रीत की अल्पनाएं सजाई
क्षणिक भावों का परिणाम ,मनभावन की काल्पनिक उड़ान ,
मादक - मीठी - मनोहर महक तन-बदन को महका गई
पत्थर की लकीरें , मेरे स्वप्न बने नहीं ,
ऐतिहासिक परम्पराओं और दकियानुसी पृष्ठभूमि के
रिवाज़ों के साथ की मनमानी
उनके महत्वाकाँक्षाओं के गिद्ध ने
मेरे आकाँक्षाओं के मयूर को नोच डाला
मेघ बन सैलाब लाना मुझे आता नहीं ,
जुबां की ताकत , खून में उबाल लाती नहीं
अविनीत निगाहें भी टटोलती अवश जीवन ,
अविकल चाहतें , नृत्य करते नहीं ,ग़म की , ख़िज़ाँ की रुत पर
प्रतीक्षा से ऊबी स्मृतियाँ सिसक- सिसक रोई
हसरतों का सलोना झोंका अब गुदगुदाती नहीं
कविता के मृदंग साथी बनतें नहीं
अब मैं गुनगुनाती नहीं ....
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
भावों को शब्द मिल ही गए या शब्दों को भाव ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आंटी!
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteमन के अन्दर के ख़ामोशी को पढ़ पाना बेहद मुश्किल:)
ReplyDeleteप्रतीक्षा से ऊबी स्मृतियाँ सिसक- सिसक रोई .. पर स्मृतियाँ ... सहेजी हुई स्मृतियाँ हर समय ख़ुशी देती है...:)
एक एक शब्द.. चमक रहे...:)
उहापोह और अंतर्द्वंद
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteआपने भी क्या खूब ,ये पंक्तियां पढवाई हैं ,
ReplyDeleteसुंदर शब्दों का चयन , संयोजन कर के लाई हैं ,
दिल से निकली ,रचना ये मन को हमारे भाई है ..
बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
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जिन्दगी का सच...बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteसंजय भास्कर भाई को बहुत शुक्रिया उनके लिंक शेयर करने की वजह से ही मैं यहाँ आ पाया और इतनी सुंदर रचना मुझे पढने को मिली ,
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावो के साथ लिखा हुआ है, बहुत बहुत शुभकामनाये , आभार
यहाँ भी पधारे
मेरा चाँद जमीन पर
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html
पत्थर की लकीरें , मेरे स्वप्न बने नहीं ,waah
ReplyDeleteकविता के मृदंग साथी बनतें नहीं
ReplyDeleteअब मैं गुनगुनाती नहीं .... , वाह !भावो को पंख दे दो तो वो उसकी खुशबू को हर तरफ फैला देते है...तब शब्दो मे खनक आ जाती है और लोगो को एक नया तराना..मिल जाता है