रवि की आशिकी नीर से होती ,
वशीभूत हो रूप बदल मेघ बन जाती .... ,
शिखर से टकरा फिर नीर बन मिट्टी से मिलती .... !!
मिट्टी अमिट बड़ी अनमोल होती ,
मैं मिट्टी में लोट - पोट कर बड़ी होती ,
बचपन छोड़ जवानी माँगती ,
मिट्टी में घरौंदे बनाकर सच का घर बनाने के सपने सजाती .... !!
पहली बारिश की बुँदे मिट्टी का हाल-चाल जानने आती ,
मिट्टी मिलन से निकली सौंधी खुशबु इत्र को मात देती ,
सौंधी खुशबु नयी ताजगी , नया उत्साह जगा जाती ,
जलज पैदा कर जल में चाँद का अक्स गिला दिखलाती ,
थकान से उपजी असजता का एहसास मिटा जाती ,
बिखरे हुए घर को दोबारा व्यवस्थित करने का हिम्मत पैदा कर जाती ,
मीठे - मीठे सपनो की काल्पनिक दुनिया में जाने की उम्मीद दिखा जाती ,
आंधी से ऊपर उड़े धुल को मिट्टी में मिलाती हमारी स्मरण-शक्ति तेज करती ,
....... निरर्थक का कोई वजूद नहीं होता .... कहीं कोई स्थान नहीं मिलता .......
जलज पैदा कर जल में चाँद का अक्स गिला दिखलाती ,
थकान से उपजी असजता का एहसास मिटा जाती ,
बिखरे हुए घर को दोबारा व्यवस्थित करने का हिम्मत पैदा कर जाती ,
मीठे - मीठे सपनो की काल्पनिक दुनिया में जाने की उम्मीद दिखा जाती ,
आंधी से ऊपर उड़े धुल को मिट्टी में मिलाती हमारी स्मरण-शक्ति तेज करती ,
....... निरर्थक का कोई वजूद नहीं होता .... कहीं कोई स्थान नहीं मिलता .......
जब-जब पहली बारिश की बुँदे मिट्टी का हाल-चाल जानने आती ..... !!
सौंधी खुशबु नयी ताजगी , नया उत्साह जगा जाती ,
ReplyDeleteउत्साह बनाये रखें ......खूबसूरत कल्पना !
शुभकामनाएँ!
निरर्थक कुछ होता भी नहीं
ReplyDeleteसौंधी खुशबु नयी ताजगी , नया उत्साह जगा जाती ,
ReplyDeleteवाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन रचना के लिये बधाई ,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
....... निरर्थक का कोई वजूद नहीं होता .... कहीं कोई स्थान नहीं मिलाता .......
ReplyDeleteजब-जब पहली बारिश की बुँदे मिट्टी का हाल-चाल जानने आती ..... !!
बहुत सही कहा आंटी !
सादर
सोंधी खुशबू युक्त रचना
ReplyDeleteबढ़िया रचना...
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत बढिया है
ReplyDeleteवारिश की उत्पत्ति से अंत तक का पूरा चक्र बड़ी गहनता से इस कविता में प्रस्तुत किया गया है. बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना..
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