विषम परिस्थितियों में ,
किसी अपने के ....
पीठ पर थपथपाता ,
स्नेहिल हथेली की थाप ....
बेकारी - लाचारी ....
बेबसी -असंतुष्टि ....
असहायता - साधनहीनता में ,
शांति दे जाता ....
कम कर जाता ,
मानसिक अस्थिरता ....
बनाए रखता ,
स्वाभिमानी हठधर्मिता ....
तो .........................
सख्ती अपने लोगो पर ,
शासित कर संकुचित करती है ....
बेरुखी अपने लोगों की ,
जब बेक़रार करती हैं ....
तल्खिया अपनों की ,
मनोबल को तार - तार करती हैं ,
तब ....................................
प्यार की अजब - गजब ,
ख़ुमारी उतारता चला जाता है .... !!
प्यार की अजब - गजब ,
ख़ुमारी उतारता चला जाता है .... !!
किसी का स्नेहिल साथ हौसले को खत्म नहीं होने देता
ReplyDeleteमोहक सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
ReplyDeleteMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
बहुत सही कहा आंटी।
ReplyDeleteसादर
कल 10/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
विवाह की सालगिरह की शुभकामनायें.............
ReplyDeleteसच है, मनोबल को बढ़ानेवाला साथ जीवंत रखता है.. और घटानेवाला जीवन-रहित.
ReplyDeleteऔर जो विषम परिस्थितियों में साथ रहे... उससे ही जीवन स्वर्ग है..
Marriage anniversary ki shubhkaamnayen :)
विषम परिस्थितियाँ
ReplyDeleteसदभावना की ढा़ढस
लगती है अमृत तुल्य
और यहीं पहचान होती है
अच्छे और अनअच्छे की
सादर
"बेरुखी अपने लोगों की ,
ReplyDeleteजब बेक़रार करती हैं ....
तल्खिया अपनों की ,
मनोबल को तार - तार करती हैं ,"
मनोभावों और परिस्थितियों का सटीक वर्णन! बधाई!
मनोदशा की व्यथा
ReplyDeleteharek panktiyan lajavab hai...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteविषम परिस्थितियों में स्नेहिल थपथपाहट कई गुना हौसला दे जाती है ... सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकिसी का स्नेहिल भरा हाथ...भर देता है एक नई स्फूर्ति ...कर देता है संचार एक नयी ऊर्जा का .....और भर देता है विश्वास ....स्वयं पर !बहुत सुन्दर विभाजी
ReplyDeleteबेरुखी अपने लोगों की ,
ReplyDeleteजब बेक़रार करती हैं ....
तल्खिया अपनों की ,
मनोबल को तार - तार करती हैं ,
nice line!!!