जिस तरह के शब्द सोचे जाते हैं , वह चेहरे पर उसी भाव के साथ अंकित होता है ... अति साधारण चेहरा सोच से सुंदर और अति सुंदर चेहरा सोच से कुरूप होता है , दीखता है
बहुत सही कहा.....सादर.
यकीनन
सच कह्र रही है सम्प्रेषण के लिये शब्दों के अलावा बॉडी लैंगुअज बहुत कुछ कह जाती है.
आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!
“नगर के कोलाहल से दूर-बहुत दूर आकर, आपको कैसा लग रहा है?” “उन्नत पहाड़, चहुँओर फैली हरियाली, स्वच्छ हवा, उदासी, ऊब को छीजने के प्रयास में है...
जिस तरह के शब्द सोचे जाते हैं , वह चेहरे पर उसी भाव के साथ अंकित होता है ... अति साधारण चेहरा सोच से सुंदर और अति सुंदर चेहरा सोच से कुरूप होता है , दीखता है
ReplyDeleteबहुत सही कहा.....
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यकीनन
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