Wednesday, 13 June 2012

सूरज या आग का गोला





सूरज , आग का गोला दीखता ,
दूर - दूर बादल नजर नहीं आता ,
तन-मन दहकता ,पलक झपकता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!



                     
                           

....(छोटी सखी - छोटी बहन - बेटियाँ पुकार सुनो)....
इसमें कमी ,लिट्टी - चोखा का लगता ,
चाय-चुस्की ,गर्म - गर्म पकौडा कोई देता ....
ख़ुद बना , खाना , अच्छा नहीं लगता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!

          



       आखें बार बार खिड़की के बाहर झांकती ,
                        धूप निकलने का , इंतज़ार करती ,
                       न लग जाए आचार में फंफूदी ,डराता ,
                         मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!


 जब - जब न्यूज़ पेपर गीला हाथ लगता , 
ऐहतियात से पलट - पलट पढ़ना पड़ता ,
भुट्टों की सोंधी महक मन को ललचाता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!         


प्रकृति के सभी स्वरूप देखने - सुनने ,
महसूस करने में प्रिय लगते .....
लेकिन किन्हीं कारणों से उत्पन्न प्राकृतिक
उथल-पुथल हमें हिला देती , उथल-पुथल में ही जन -जीवन को
प्राकृतिक प्रकोप को सहना पड़ता ....
आने वाले वर्षों में और न जाने कहां-कितना होगा विनाश....
सुनामी लाता मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!

8 comments:

  1. मॉनसून आया हुई बरसात ... मुंह में भी लालच की हुई बरसात - भुट्टे , लिट्टी चोखा घी ......... आहाआआ

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    1. मुंह में भी लालच की हुई बरसात .... !!

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  2. मॉनसून आया हुई बरसात ..

    वाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन रचना,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

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  3. बहुत बढ़िया आंटी


    सादर

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  4. लग रहा है बरसात आ गई अब तो ... सुन्दर अभिव्यक्त्यी है ...

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    Replies
    1. आभार आपका .... !!
      बरसात तो बहुत दूर है .... बस मन को संतावना दी जारही है .... :)

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  5. लो आ ही गयी बरसात
    बेशक उसके पहले इस गर्मी ने जला डाला
    पर हर मौसम होता है सुहाना...
    सबका अपना अपना अंदाज
    आचार, भुट्टा... सब भा गया...
    बेहतरीन रचना दी..:)

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  6. लार टपक रहा है..उम्म..

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