सूरज , आग का गोला दीखता ,
दूर - दूर बादल नजर नहीं आता ,
तन-मन दहकता ,पलक झपकता ,
दूर - दूर बादल नजर नहीं आता ,
तन-मन दहकता ,पलक झपकता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!
....(छोटी सखी - छोटी बहन - बेटियाँ पुकार सुनो)....
इसमें कमी ,लिट्टी - चोखा का
लगता ,
चाय-चुस्की ,गर्म - गर्म पकौडा कोई देता ....
ख़ुद बना , खाना , अच्छा नहीं लगता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!चाय-चुस्की ,गर्म - गर्म पकौडा कोई देता ....
ख़ुद बना , खाना , अच्छा नहीं लगता ,
आखें बार बार खिड़की के बाहर झांकती ,
धूप निकलने का , इंतज़ार करती ,
न लग जाए आचार में फंफूदी ,डराता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!
न लग जाए आचार में फंफूदी ,डराता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!
जब - जब न्यूज़ पेपर गीला हाथ
लगता ,
ऐहतियात से पलट - पलट पढ़ना पड़ता ,
भुट्टों की सोंधी महक मन को ललचाता ,
मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !! भुट्टों की सोंधी महक मन को ललचाता ,
प्रकृति के सभी स्वरूप देखने -
सुनने ,
महसूस करने में प्रिय लगते .....
लेकिन किन्हीं कारणों से उत्पन्न प्राकृतिक
उथल-पुथल हमें हिला देती , उथल-पुथल में ही जन -जीवन को
प्राकृतिक प्रकोप को सहना पड़ता ....
महसूस करने में प्रिय लगते .....
लेकिन किन्हीं कारणों से उत्पन्न प्राकृतिक
उथल-पुथल हमें हिला देती , उथल-पुथल में ही जन -जीवन को
प्राकृतिक प्रकोप को सहना पड़ता ....
आने वाले वर्षों में और न जाने
कहां-कितना होगा विनाश....
सुनामी लाता मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!
सुनामी लाता मॉनसून आया , लो हो गई बरसात.... !!
मॉनसून आया हुई बरसात ... मुंह में भी लालच की हुई बरसात - भुट्टे , लिट्टी चोखा घी ......... आहाआआ
ReplyDeleteमुंह में भी लालच की हुई बरसात .... !!
Deleteमॉनसून आया हुई बरसात ..
ReplyDeleteवाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन रचना,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
बहुत बढ़िया आंटी
ReplyDeleteसादर
लग रहा है बरसात आ गई अब तो ... सुन्दर अभिव्यक्त्यी है ...
ReplyDeleteआभार आपका .... !!
Deleteबरसात तो बहुत दूर है .... बस मन को संतावना दी जारही है .... :)
लो आ ही गयी बरसात
ReplyDeleteबेशक उसके पहले इस गर्मी ने जला डाला
पर हर मौसम होता है सुहाना...
सबका अपना अपना अंदाज
आचार, भुट्टा... सब भा गया...
बेहतरीन रचना दी..:)
लार टपक रहा है..उम्म..
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