Saturday 23 August 2014

घाती है भादो






1
बहे मवाद 
वीरुध हीन भूमि 
डाका के बाद ।

2
सूखे ना स्वेद
अपहृत बरखा 
रोता भदई।

3
आँख में आंसू 
रात में ज्यूँ जुगनू
दोनों में ज्योति ।

पल है खग
सुख दुख के डैने
उड़ा के छिपा। 

5
देख भू चौंकी 
खाली बूँदें-बुगची
घाती है भादो। 

6
घाती सावन 
घाऊघप बादल
रोते भू तारे ।

7
दुखी भू अम्ब
हवा लपके मेघ
हो जैसे गेंद । 

8
छोड़ के पर्दा 
नभ को छूने चली
उड़ा के गर्दा।

9
ज्योति की संगी 
लम्बी कभी वो छोटी
तम में गुम।

10
उषा मुस्काई 
ज्योति ले लहराई
भू हरियाई।

11
देती है दंश 
कई चीर लगाती
कील उचकी।



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17 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 24/08/2014 को "कुज यादां मेरियां सी" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1715 पर.

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    1. आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ...

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  2. सुन्दर हाइकू ,सुन्दर हाइगा !
    मैं
    Happy Birth Day "Taaru "

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  3. स्नेहाशीष बेटे जी .... आभारी हूँ ...
    बहुत बहुत धन्यवाद आपका ....

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  4. लघु कलेवर .,
    जैसे पुड़िया में
    होमियेपैथी की गोलियाँ १

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    1. आभारी हूँ आदरणीया .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका _/\_

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  5. सुंदर हाइकु

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  6. बहुत सुंदर हाईकू

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  7. बहुत सुन्दर ...

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  8. आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 25 . 8 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

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    1. स्नेहाशीष .... आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ...

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  9. बहुत सुंदर हायकु बन पड़े हैं ...

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  10. सुंदर प्रस्तुति

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  11. सुन्दर हाइकू

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  12. बहुत बढ़िया

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