जपानी विधा में लिखी गई
17 अक्षर और 3 पंक्तियों की
व्यापक अर्थ लिए कविता को ही
हम चार पंक्तियों में एक भाव पर
चार हाइकु लिखें तो बनेगा
हाइकु - मुक्तक
एक हाइकु-मुक्तक में
चार पंक्ति के मुक्तक के
एक पंक्ति में फिर तीन पंक्ति है
यानि
हमें 12 पंक्ति का ख्याल रखना है
जैसे
पहला प्रयास
समीक्षा हेतु
सूखे ना स्वेद / अपहृत बरखा / रोता भदई
देख भू चौंकी / खाली बूँदें-बुगची / नभ मुदई
व्याकुल कंठ / भरे नयन सरि / चिंता में दीन
भादो है छली / घाऊघप बादल / द्वि निरदई
==
अपहृत = अपहरण हो गया
घाऊघप = गुप्त रूप से किसी का धन हरण करने वाला
सुंदर विधा
ReplyDeleteशब्दों से भाव गुथे
अति उत्तम
नवाकार
बहुत सुन्दर और प्रभावी...बहुत सुन्दर प्रयास...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteवाह...बेहतरीन
ReplyDeleteअच्छे लगे मुक्तक , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 28/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
स्नेहाशीष ..... शुक्रिया ....
Deleteनयी विधा की जानकारी मिली…सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहाइकू मुक्तक की जानकारी के लिए धन्यवाद स्वीकार करें |
ReplyDeleteशुभ प्रभात .... आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर हायकू.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कि मैं झूठ बोलिया
बहुत सुन्दर हाइकू....
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteस्नेहाशीष ..... आभार आपका
Deleteबढ़िया हाइकू मुक्तक
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपको भगवान गणेश जन्मोत्सव के साथ ही जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deletebahut sunder muktak....bahut hi umda haaiku.. shukriya.
ReplyDelete.
सारे बहुत अछे लगे.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर मुक्तक ..अच्छी शुरुआत दी
ReplyDeletefb पर एक टिप्पणी में :-
डॉ. प्रणय * सूखे न स्वेद अपह्रत बरखा रोता भदई !
( पसीने का न सूखना - अथक परिश्रम / दौड़ - धूप । बरखा - वर्षा / नाम विशेष बरखा - मजदूर कन्या , जिसका अपहरण होना नियति में है । भदई - माह विशेष से जुड़ा / कृषक - मजदूर व्यक्ति विशेष - बरखा का पिता जिसके पास रोने के अलावा और कोई बूता नहीं ! , स्वेद और अश्रु एकसाथ , प्रकृति भी उपस्थित ).....और-और अर्थ खोलता हायकू ! ऐसा लेखन सहज नहीं, ऐसे हायकू कभी- कभी लिख जाते हैं ! यह 17 वर्ण की एक लंबी और चिरजीवी कविता है जिसका भाष्य चित्ताकर्षक है ! रचनाकार धन्य !
शब्दों का जादुई प्रयोग ...
ReplyDeleteअच्छे हैं सब ...
हाइकू मुक्तक.. इस नई विधा की जानकारी सोदाहरण देने का धन्यवाद। बहुत सुंदर। काश कि घाऊघप बादल से सारी बारिश निकलवा ली जाये।
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