Thursday, 25 September 2014

जीवन


एक जीवन में
एक बार ही फलता है
कई दर्जन फल देता है
क्यूँ नहीं मनु सीखता है
जीवन एक बार ही मिलता है



सुखी अकेला
रह नहीं सकता 
केला हूँ मैं।


1

तम गहरी
उम्मीदें बढ़ा जाती
आ रहा भोर।

2

धैर्य ले साथ 
दुश्वारियों से भिड़े 
मंगल सधे।

3

छिटकी मिटटी
धारा की कद बढ़ी
सिसकी छूटी।

4

माया की खाद
हृष्ट पुष्ट हो जाता
आस फसल।

5

छीपी है राका
तारे चन्द्र के छींट
नभ छीबर।

छीबर = वो कपड़ा जिस पर छीट डाला गया
राका=पूर्णिमा की रात
छीपी = छींट डालने वाला कारीगर

6

थाती मौरुसी
पत्नी मौज करती
भिक्षा माँ मांगे।

7

फेरा में पड़ा
निशा-कारा में बंद
रवि बेचारा। 





3 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु...

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  2. बहुत बढ़िया...अर्थपूर्ण हाइकु...

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  3. सुन्दर सुन्दर अर्थपूर्ण हाइकू....

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