Sunday, 12 October 2014

हाइकु




दीया व बाती
दम्पति का जीवन 
धागा व मोती। 



लौ की लहक 
सीखा दे चहकना
जो ना बहके। 



अमा के घर 
रमा बनी पहुना 
द्युत जमके। 

या

अमा के घर 
पद्मा बनी पहुना 
द्युति दमके। 


संघर्ष धारा
धीर प्लवग पार
जीवन सारा।


मनु पा जाते
स्वर्ण मृग सा लोभ 
जग से छल।


==





10 comments:

  1. बहुत बढिया आपने बहुत खुब लिख हैँ। आज मैँ भी अपने मन की आवाज शब्दो मेँ बाँधने का प्रयास किया प्लिज यहाँ आकर अपनी राय देकर मेरा होसला बढाये

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर दी ...सादर नमस्ते

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति। कम शब्दों में गहरे अर्थों को संजोये।

    ReplyDelete
  4. गहरे अर्थ लिए छोटे छोटे शब्द ... लाजवाब हाइकू रोशनी लिए ...

    ReplyDelete
  5. दीपावली का अर्थ लिए हुए सुन्दर हाइकू ....

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

अन्तर्कथा

अन्तर्कथा “ख़ुद से ख़ुद को पुनः क़ैद कर लेना कैसा लग रहा है?” “माँ! क्या आप भी जले पर नमक छिड़कने आई हैं?” “तो और क्या करूँ? दोषी होते हुए भ...