Sunday, 12 October 2014
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सीमांत के पहले
रात के बारह बज रहे थे। मोबाइल की नीली रोशनी में अदिति का चेहरा और भी चौकन्ना हुआ लग रहा था। स्क्रीन पर एक वीडियो चल रहा था—किसी लड़की का, आध...
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अन्तर्कथा “ख़ुद से ख़ुद को पुनः क़ैद कर लेना कैसा लग रहा है?” “माँ! क्या आप भी जले पर नमक छिड़कने आई हैं?” “तो और क्या करूँ? दोषी होते हुए भ...
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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...


बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteसाजन नखलिस्तान
बहुत बढिया आपने बहुत खुब लिख हैँ। आज मैँ भी अपने मन की आवाज शब्दो मेँ बाँधने का प्रयास किया प्लिज यहाँ आकर अपनी राय देकर मेरा होसला बढाये
ReplyDeleteबहुत सुंदर हायकू.
ReplyDeleteमुझे बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteआपका आँगन गूँजेगा पक्षियो की चहचाहाट से
बहुत सुन्दर दी ...सादर नमस्ते
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति। कम शब्दों में गहरे अर्थों को संजोये।
ReplyDeleteगहरे अर्थ लिए छोटे छोटे शब्द ... लाजवाब हाइकू रोशनी लिए ...
ReplyDeletegagar me sagar ......
ReplyDeleteदीपावली का अर्थ लिए हुए सुन्दर हाइकू ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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