Wednesday 12 June 2019

फिक्र

देख गुलमोहर-अमलतास
ठिठक जाती हूँ
ठमका देता है
सरी में दिखता जल।
अनेकानेक स्थलों पर
विलुप्तता संशय में डाले हुए है
बचपन सा छुप जाए
तलाश में हो लुकाछिपी।
है भी तो नहीं
अँचरा के खूँट
कैसे गाँठ बाँध
ढूंढ़ने की कोशिश होगी
जब कभी उन स्थलों पर
वापसी होगी।

1 comment:

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

काली घटा

“ क्या देशव्यापी ठप हो जाने जाने से निदान मिल जाता है?” रवि ने पूछा! कुछ ही दिनों पहले रवि की माँ बेहद गम्भीररूप से बीमार पड़ी थीं। कुछ दिनो...