हदप्रद पल दोनों कल के सिरे को पकड़े,
आज हर्ष पर बीते कल के डर को जकड़े,
कल , कल में बदल गया विदाई बधाई में–
पाए हक़ निभाये दायित्व पर नियति रगड़े।
हर साल तो यही होता है
थार्नडाइक का
सीखने का सिद्धान्त चलता है
प्रयत्न एवं भूल/प्रयास और त्रुटि का सिद्धांत
संयोजनवाद का रहता सिद्धांत
कम ज्यादा के अनुपात
पलड़ा कब किसका भारी हुआ
पता तब चला
जब सपने टूटने का चक्कर जारी हुआ।
लू की दोपहरी छाया
बूँदों में साया मिलने लगा।
अधूरे सपनों की कसक मिटा
उल्लासित काया मिलने लगा।
सपने सब पूरे हों यही हमारी यही दुआ है .....सुन्दर सृजन
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