भयादोहन होता रहता है जब तक हम कमजोर होते हैं
01.
बेहतर पाने के दौड़ में शामिल होते हैं,
परेशानियों-झंझटों के भीड़ में खोते हैं,
अपनी शिकायतें दुश्वारियों का क्यों करें-
लुटा-मिटा त्याज्य जी अनगुत्ते सोते हैं।
02.
कीमत तो चुकानी थी हद पार करने की,
जिंदगी मीठी कड़वे घूँट पी दर्द सहने की,
बहुत मिले दिल चेहरे से खूबसूरत न था–
आदत बनी प्रेम के गैरहाजिर में रहने की।
01.
बेहतर पाने के दौड़ में शामिल होते हैं,
परेशानियों-झंझटों के भीड़ में खोते हैं,
अपनी शिकायतें दुश्वारियों का क्यों करें-
लुटा-मिटा त्याज्य जी अनगुत्ते सोते हैं।
02.
कीमत तो चुकानी थी हद पार करने की,
जिंदगी मीठी कड़वे घूँट पी दर्द सहने की,
बहुत मिले दिल चेहरे से खूबसूरत न था–
आदत बनी प्रेम के गैरहाजिर में रहने की।
वाह दी बहुत बढ़िया मुक्तक।शानदार।
ReplyDelete"जिंदगी मीठी कड़वे घूँट पी दर्द सहने की"
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब मुक्तक।
सुंदर प्रस्तुति।
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