जाड़े की छुट्टी/क्रिसमस डे/क्रिसमस+अह्न=क्रिसमसाह्न
जुगनुओं की बाढ़
तंबू में छाई।
तेरा दिया वो जख्म खुला रखता है,
आईना सँजोता नहीं गम रिसता है,
बिना श्रम फलक पर चमक जाता–
जलसा-जलसा चहुँ ओर दिखता है।
गलतियाँ मत ढूंढो, उपाय ढूंढो......नहीं तो ढूंढते ही रह जाओगे और रिश्ते समाप्त हो जाएंगे....सदा सदा के लिए
©नीरज कृष्ण
वाह दी सुंदर लाज़वाब हायकु और मुक्तक भी बहुत अच्छा है।
ReplyDeleteसस्नेहशीष छूटकी
Deleteविभा जी,आपलोगों से मिल कर मन प्रसन्न हुआ.हम समधर्मी लोगों का संपर्क रचनाशीलता के लिये भी सार्थक होगा यह मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteलाज़वाब हायकु
ReplyDeleteवाह !आदरणीय दीदी जी शानदार सृजन
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर
ReplyDelete