Sunday, 22 March 2020

निपुणता


हवाओं की गुनगुनाहट से,
पक्षियों का चहचहाना बढ़ा है।
प्रकृति अपनी खूबसूरती पाने लगी है।
साफ जल में मछलियों का विचरण,
मनमोहक हो रहा है।
स्तब्धता है,
मौत का डर
इतना जरूरी होता है..!
मनुष्य घरों में रहने लगे हैं।
बहुत सालों से खबर थी
अब जब भी विश्व युद्ध होगा
जीवाणुओं से लड़ी जाएगी।
तेरा नामकरण जो भी हो,
जग मानता है जो होता है
अच्छे के लिए होता है।
होनी तो होकर ही रहती है
काल नियति तय कहती है।
जिन्हें बिछुड़ने का गम पता है
कोरोना देख ले तू
हमें रोना हँसना गाना सब आता है।




1 comment:

  1. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना..

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...