
धनक ओले
टिकुली टेलकम
अम्ब ललाट। 
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उत्साह तंग 
कस बल हो ढीला
जीवन जंग। 
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तड़प जिये
दहकता अंगार
चोंच लहके। 
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स्वर्ण हो गई 
रवि की आँख खुली 
निशा चादर। 
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संभल बजा 
रिश्तों की है सितार
नाजुक तार। 
या 
रिश्ते सितार
संभलकर बजा
नाजुक तार। 
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छुई मुई सी 
सरि गिरि से गिरी
वारी घूँट पी / सिन्धु में लीन। 
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श्रम है पूजा
बदल देती भाग्य
शोर है गूंजा।
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अबोध श्रम
प्रताड़ित कर्म
समाज शर्म।
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बाल श्रमिक
गाली झापड खाते
देश दुर्भाग्य।
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सिर तेगाडी
हरारत हारता
हँसे अभाव।
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मरा लो मरा / दिखता मरा
पेट पीठ सटाये
बोझ उठाये।
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श्रम है पूजा
बदल देती भाग्य
शोर है गूंजा।
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अबोध श्रम
प्रताड़ित कर्म
समाज शर्म।
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बाल श्रमिक
गाली झापड खाते
देश दुर्भाग्य।
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सिर तेगाडी
हरारत हारता
हँसे अभाव।
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मरा लो मरा / दिखता मरा
पेट पीठ सटाये
बोझ उठाये।
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बहुत सुन्दर सटीक..
ReplyDeleteBahut Sunder
ReplyDeleteबहुत ही प्यारे, सारे के सारे.
ReplyDeleteसुंदर और भावपूर्ण...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 03/05/2014 को "मेरी गुड़िया" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1601 पर.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ..... आभारी हूँ .....
Deleteबढ़िया हाइकू रचना , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }
अच्छे हाइकू .पहला और दूसरा खास पसंद आया.
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