Monday 31 December 2018

आगुन्तक का सदा स्वागत


नव वर्ष की मंगलकामना

मत सोचा करो, कल की चिंता में मत घुला करो
वरना हृदयाघात पर अपने हाथ मत मला करो
सोलह-अठारह गुजर गया फँस उन्नीस-बीस के चाल में
उंगलियाँ ठहर गई बेकल उलझी-उलझी खिचड़ी बाल में

No comments:

Post a Comment

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

मनाजीताभ

विदेशों में रहने वाले भारतीय किसी भी आयोजन को शनिवार/रविवार को मनाते हैं…। दीपोत्सव के पर्वमाला शुरू होने के ठीक पहले वाले शनिवार को तबला वा...