Wednesday, 1 April 2020

धर्म-नीति



"देख लो माँ, इसका विस्तार! इसका जो जगह तय है वो इसका है ही जो मेरा जगह है उसमें से भी इसे इसका फैलाव चाहिए!"
     कोरोना से दुनिया त्रस्त हो रही थी। सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) बरतने के लिए वर्क एट होम होने की वजह से शोभा अपने शयनकक्ष में और सोहन भोजन मेज को अपना-अपना कार्यक्षेत्र निर्धारित किया। दो सप्ताह सुचारूरूप से चला। आज सुबह शोभा अपना लैपटॉप लेकर भोजन मेज पर ही कार्यालय का काम शुरू की तो सोहन ने अपनी माँ को पुकारा।
"ठीक ही तो है! जब पूरा घर शोभा का है तो सोहन! घर का आधा हिस्सा तुम्हारा है। केवल घर का आधा हिस्सा शोभा का है तो तीन तिहाई हिस्सा तुम्हारे हिस्से में आ जायेगा..!
   एक बात और समझ लो.. ना जाने कितने सालों से पक्षी-जोड़ा बिना किसी लालसा के एक संग रह रहे हैं... अपने पंखों के सहारे उड़ते चले आ रहे हैं पीढ़ी दर पीढ़ी ! आज भी जैसे अनेकानेक साल पहले थे आज भी बिल्कुल वैसे ही हैं, बाग-बगीचों में,  खेतों-खलिहानों में बैठकर दाना चुगना, खतरों से अपना बचाव कर लेना.. फँसे बिना उड़ जाना... "
"माँ की बातें हमेशा न्याय संगत होती है.."शोभा के चहकने से घर का अवसाद मिट रहा था।

1 comment:

  1. बहुत कुछ सीख रहा है आज के समय का सही सदुपयोग हो रहा है ...

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...