Saturday, 25 April 2020

हाइकु

लघुकथा, कहानी , उपन्यास, समीक्षा, आलेख, इत्यादि गद्य विधा की शाखाएं हैं तो मुक्तक, ग़ज़ल, दोहा, रोला, कविता इत्यादि पद्य विधा की
गद्य-पद्य दोनों विधाओं में अनुभव के साथ कल्पना के विस्तार के लिए पूरी आजादी होती है।
कहने वाले हाइकु को भी कविता के श्रेणी में मानते हैं लेकिन जब कल्पना के लिए कोई स्थान ही नहीं तो हाइकु को कविता कहना कठिन है लेकिन

Ritu Kushwah जी बताती हैं हाइकु में तुकांत कैसे किया जा सकता है ताकि काव्य का आनंद मिले...


01.
 दर/पथ नक्काशी
मुख-शौच से मुक्त–
वैश्विक बन्दी ।

02.
गुलाबों धारा
फ्लेमिंगो किलोल से–

हिन्द में मंदी ।

03.
तेरे मेरे में
चमेली का फासला–
कोरोना कैदी।


नया दिन नए डर से सामना
कहीं थेथर ना हो जाये जमाना
धरा ढूँढेंगी साधन मनु को कैसे मनाना

 कोरोना से उपचार/बचाव/सुरक्षा/स्व संगरोध/निर्विषीकृत/स्वयं डीटॉक्स
अब यह उदास सा माहौल हमारे लिए वर्षों का हो गया।
अतः जितना जल्दी हो सके इसे स्वीकार कर हम उबर जाएं ,
उतना हमारे लिए और आस-पास के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होगा ,
तथा हमारे हाथ में है कितना यह विचारणीय है।

3 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (04 मई 2020) को 'बन्दी का यह दौर' (चर्चा अंक 3691) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर सृजन दी ! अपना ख्याल रखिएगा और सबका ख्याल रखिएगा ।

    ReplyDelete

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आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

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