आज माया बेहद खुश थी। चौकानें वाली खबर भी तो थी। लॉकडाउन के दौरान घर से काम करते हुए की तस्वीरें मंगवाई गयी थी उसके ऑफिस से। कुछ स्पेशल तस्वीर होने पर विजेता घोषित होना था।
कई दिन उलझन में रही बार-बार कोशिश करती कभी कोई रेसिपी ट्राई करती कभी कोई बने भोजन में नया करने की कोशिश करती। कभी डांस कभी गाना। लेकिन खुद से संतुष्ट नहीं हो पा रही थी।
एक दिन मुझसे मंडला आर्ट पर विमर्श कर रही थी तो मैंने कहा ,-"बनाने की कोशिश करो।"
"कैसे बनाएं क्या आप मुझे बनाना सीखा देंगी?"
"गूगल में सर्च कर देख कर अभ्यास कर लो!"
"इतना समय अब कहाँ बचा कि गोल बनाने के लिए कुछ आधार खरीद कर लाया जाए?"
"आस-पास चौके से हर कमरे में नजर दौड़ाओं हर चीज का जुगाड़ घर में होता है।"
माया ने मंडला आर्ट बनाकर कला की बारीकियों को समझा और उसकी तस्वीर प्रतियोगिता में शामिल हुई। दस विजेताओं में से एक रही।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 16 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका छोटी बहना
Deleteप्रतिभा का सही मूल्यांकन😊😊
ReplyDeleteवाह ! कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती | प्रेरक प्रसंग - आदरणीय दीदी सादर प्राणाम और शुभकामनाएं!!!!!!
ReplyDeleteगर तू हिम्मत न हारे तो होंगे वारे न्यारे ,जीत के लिए संयम एवं साहस की जरूरत होती है ,सुंदर पोस्ट ,बधाई हो
ReplyDeleteआस-पास चौके से हर कमरे में नजर दौड़ाओं हर चीज का जुगाड़ घर में होता है।"
ReplyDeleteसही कहा बस पारखी नजर चाहिए
बहुत सुन्दर संदेश देता लाजवाब सृजन।