"कन्यादान कौन करेगा..?" नेहा और नितिन की शादी के समय पण्डित जी ने कहा। दोनों की शादी मन्दिर में हो रही थी..।
"आप अनुमति दें तो मेरा दोस्त दीपेन कन्यादान करना चाहता है और वह अपनी पत्नी के साथ यहाँ उपस्थित भी है..। सामने आ जाओ दीपेन..," वर नितिन ने कहा।
सबके सामने दीपेन के आते ही उपस्थित लोगों में खलबली मच गयी। दबे आवाज में कानाफूसी शुरू हो गयी तथा वधू नेहा और उसकी माँ भौंचक दिख रहे थे। क्योंकि दीपेन और नेहा एक दूसरे के जेरोक्स कॉपी लग रहे थे।
"यह तुम्हारा ही अंश है देवकी... जो हमें तुम्हारे सेरोगेट मदर के रूप से दान में मिल गया था..," दीपेन की माँ यशोदा ने कहा।
स्वसा के आँसू
मौली को गीला करे
श्रावणी पूनो
पहला तारा
कौन जलाने उठे
साझे का चूल्हा!
सुन्दर
ReplyDeleteस्तब्ध करती कहानी ...
ReplyDeleteकुछ लाइनें कितना कुछ कह जाती हैं कई बार ...
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच "विज्ञापन में नारी?" (चर्चा अंक 4167) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वंदन के संग हार्दिक आभार आपका
Deleteनिस्तब्ध!!
ReplyDeleteओह!सेरोगेट भाई!
ReplyDeleteलाजवाब लघुकथा साथ ही हृदयस्पर्शी हायकु।
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन....
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