"वाह। बहुत खूब। इतना विशाल आयोजन..! आयोजक संयोजक को बधाई के संग साधुवाद। सफल कार्यक्रम रहा। मंच संचालन का तो क्या कहने..,"
"हार्दिक धन्यवाद। सच कह रहे हैं। मुख्य-अतिथियों का दो-तीन घण्टे विलम्ब से पहुँचना.., प्रशंसा के पात्र थे संयोजक महोदय जो थोड़ी-थोड़ी देर पर मंच से समय से पहुँचे को अवगत कराते रह रहे थे..,"
"उतना त स्वाभाविक है। इतना त मानकर चलना..,"
"मंच संचालक की कुशलता को दाद देनी चाहिए। कितना अध्ययन किया होगा..। नेपाली, दिनकर, इन्दौरी साहब, कबीर, मीर की चार-चार पँक्तियों को सहेजना और उनका सफलता से प्रयोग करते हुए। लगभग सात-आठ घण्टे में सात-आठ प्रतिभागियों को मंच पर मौका देना। बहुत बड़ी बात है। पीड़ या पीर..,"
"अगले मतदान में मनचाहा पार्टी से टिकट मिल जाने का पक्का इंतजाम हो गया है।"
>><<
–अपनों में अपने संग केवल अपनी आत्मा रहती है...!
सहमत
ReplyDelete