"क्या ग्रैंम स्क्वायर से बात हो गयी तुम्हारी?" शाम को कार्यालय से लौटा मधुर ने अपनी पत्नी मिन्नी से पूछा।"
"अभी तो भारत में पौ फटा होगा और वो शायद जगी हों। आप कपड़े बदलकर आ जाएं। वीडियो कॉल करती हूँ।" मिन्नी ने कहा।
"किनसे क्या बात करनी है?" मिन्नी की माँ ने पूछा।
"महामारी काल में मधुर के दादा अनाथ हो गए थे, उनको सहारा मिला। मधुर के पिता, चाचा तथा बुआ को दादी की ममता उनसे भरपूर मिला। मधुर के दादा के समकालीन अनेकोनेक बच्चों को उनसे माँ के आँचल की छाँव मिली।"
"महामारी काल को बीते लगभग साठ साल हो गए। तीसरी पीढ़ी इस बात को याद रखे। मैं स्तब्ध हूँ।" मिन्नी की माँ ने कहा
"याद ही नहीं रखे माँ। किसी को किसी परेशानी का हल ढूँढ़ना हो, किसी की शादी हो, किसी बच्चे का अन्नप्राशन हो, किसी का गृहप्रवेश हो , किसी का नया काम शुरू.. मुहूर्त उनसे ही पूछा... मधुर आ गए मैं उन्हें वीडियो कॉल लगाती हूँ.., हमें भी कुछ...,"
"सुप्रभात! ग्रैंम स्क्वायर! आप कैसी हैं?" मधुर और मिन्नी ने संग-संग कहा।
"सस्नेहाशीष संग शुभ सन्ध्या मेरे बच्चों!" वीडियो कॉल पर दमकता चेहरा उभरा।
"मैंने कहीं पढ़ा है कि महामारी काल में रोबोट में इमोशन्स भरने की बात चल रही थी...," मिन्नी की माँ की बुदबुदाहट किसी के कानों तक नहीं पहुँच पायी।
सुन्दर
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