Friday, 24 December 2021

हाइकु

मिलनोत्सव

कुल्फी व मोमबत्ती

दोनों पिघले!

रेत से हटे

स्वचित्र की लहरें-

सन्धिप्रकाश

लो

मारू

वैवर्त

गुणधर्म

अति में गर्त

ना प्यार में शर्त

जल स्त्री संरचना

हाँ

हर्ता

शर्वाय

जलवाहिनी

सिंधु की सत्ता

भू स्त्री व लंकारि

भूले न स्व महत्ता

5 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(26-12-21) को क्रिसमस-डे"(चर्चा अंक4290)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. वाह...
    बहुत सुंदर।

    New post - मगर...

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  3. वाह बहुत खूब..

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  4. कुल्फ़ी और मोमबत्ती दोनों पिघले !
    बहुत सुन्दर हाइकू !

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

“नगर के कोलाहल से दूर-बहुत दूर आकर, आपको कैसा लग रहा है?” “उन्नत पहाड़, चहुँओर फैली हरियाली, स्वच्छ हवा, उदासी, ऊब को छीजने के प्रयास में है...