"जानते थे न कि बड़े भैया से गुनाह हुआ था? अपने चार मित्रों के साथ मिलकर भादो के कृष्णपक्ष सा जीवन बना दिया पड़ोस में रहने वाली काली दी का। काली दी अपने नाम के अनुरूप ही रूप पायी थीं..।"
"इस बात को गुजरे लगभग पचास साल हो गए..,"
"जानते थे न कि मझले भैया जिस दम्पत्ति पर रिश्वत लेकर नौकरी देने का आरोप लगवा रहे हैं वो दम्पत्ति उस तारीख पर उस शहर में क्या उस राज्य में नहीं थे। मझले भैया जी जान से बहन-बहनोई मानते थे उस दम्पत्ति को। बस बहनोई की तरक्की उनसे बर्दाश्त नहीं हो पायी?"
"उस बात को गुजरे सोलह साल गुजर गए। अब तो दोनों भैया भी मोक्ष पा गए।"
"आज बड़े भैया की तरह उनका भतीजा वही कृत्य दोहराकर तुझे अपना वकील बनाया है.."
"सुन मेरी आत्मा! मुझे प्रायश्चित करने का मौका मिला है.."
आत्मा सुनेगी । नये साल की मंगलकमनाएं।
ReplyDeleteवंदन
Deleteसपरिवार आपके लिए मंगलमय हो