
"स्तब्धता के संग सम्मोहित! कहो, कैसा लगा देख-सूंघकर प्रकृति का करिश्मा! तुमने तो अनेक बार कहा, 'काश! पपीता के पेड़ की तरह लोहे की कांटी गाड़ने जैसा कुछ यंत्रमंत्र होता•••,' कई बार माली को इसे उखाड़ फेकने का आदेश मिलता रहा। खिला तो दूर तक सुगन्ध फैला रहा है।"
"अनेक सालों से सिर्फ सेवा ही तो करवा रहा था। लगाया गया था चम्पा का पौधा। खिलने के बाद पता चला कि यह तो मौलश्री का पेड़ है। जिस पौधे से इश्क हो उसका ना खिलना कितना पीड़ादायक होता है इसकी साक्षी हो न तुम!
"तुम्हारे दर्द को समझती हूँ । तुम्हारे डर को भी समझ रही थी। बाँझ होने का आरोप लगाकर बिटिया से तलाक ले लेना उसके ससुराल वालों को बहुत आसान लगा। क्यों चिन्ता करती हो ! बिटिया के नए ससुराल से किलकारी के संग लोरी भी गूँजने लगेगी।"
आंवला खाने में तो तीखा लगता है फिर पानी पियो तो मिठास|
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