"जी उससे बात करता हूँ।"
"उसे समझाना पंक भाल पर नहीं लगाया जा सकता।"
"कहाँ खो गये पापा?"
"अतीत में! तुम्हारे देह पर वकील का कोट और तुम्हारे मित्र की वर्दी तथा तुम्हारे स्वागत में आस-पास के कई गाँवों की उमड़ी भीड़ को देखकर लगा, पंक में पद्म खिलते हैं।"
"फूलों की गन्ध क्यारी की मिट्टी से आती ही है।"
और कांटों को कौन सा मिट्टी में रहना है |
ReplyDeleteकम शब्दों में बहुत कुछ कह गई लघुकथा!
ReplyDeleteअच्छी कहानी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDelete