पिता - पति - पुत्र से
स्त्री के तीन आयाम .........
और
एक स्त्री ख़ुद से
पाती दर्जा दोयम ..........
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आग्रही अज्ञ ??
आशुतोष -आसीस
आकंठ डूबी
आकुला - बिलबिलाई
अंतक लाई
अंदोर अंधड़ सा
स्त्री की अस्मिता
चादर मैली ही हो
ना है बर्दाश्त
दिवालियेपन सा
बदसूरत
लिजलिजा - घिनौना
अँधेरी रात
मौज़ूद थी उदासी
बहला दिल
उपजाई अनल्प
पीड़ा की मिट्टी
आकंठ डूबी
आकुला - बिलबिलाई
अंतक लाई
अंदोर अंधड़ सा
स्त्री की अस्मिता
चादर मैली ही हो
ना है बर्दाश्त
दिवालियेपन सा
बदसूरत
लिजलिजा - घिनौना
अँधेरी रात
मौज़ूद थी उदासी
बहला दिल
उपजाई अनल्प
पीड़ा की मिट्टी
आक्रोश ,ले आया है
गुलाबी क्रांति
स्त्रीवादी आन्दोलन
ज्वाला भड़की
चिंगारी से चिंगारी
ज्वालामुखी है
अनवच्छिन्न नारी
आत्मसाक्षात्कार से
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गुलाबी क्रांति
स्त्रीवादी आन्दोलन
ज्वाला भड़की
चिंगारी से चिंगारी
ज्वालामुखी है
अनवच्छिन्न नारी
आत्मसाक्षात्कार से
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सुन्दर शब्द. ज्वाला भड़कना अच्छा है और जरूरी है कि यह बस पुआल से उठे ज्वाला की तरह न हो. इसे जीवंत रहना बहुत जरूरी है व्यापक बदलाव के लिए. बस हर मनुष्य को सिर्फ अपना जिम्मा लेने की ज़रुरत है.
ReplyDeleteस्त्री को आज के समाज में बराबरी की भागीदारी मिलनी ही चाहिए,,,,
ReplyDeleterecent post: वह सुनयना थी,
अभी निर्णायक क्रांति आना बांकी है.
ReplyDeleteनई पोस्ट : अहंकार
चिंगारी से चिंगारी
ReplyDeleteज्वालामुखी है
अनवच्छिन्न नारी
आत्मसाक्षात्कार से ... अद्भुत प्रस्तुति
वाह: बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeletepata nahi kab stri ki ladai khatam hogi aur wo chain ki sans le payegi
ReplyDeletestriyon ki kasmakas dikh rahi hai :(
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