Thursday, 10 January 2013

नेताओं की चाल ....

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 नेताओं की चाल .........
सोचो-देखो ,समझो-परखो
ये है राजनीती का खेल .....
दामनी के आगे हो गई रेल ....
इन नेताओं का चाल .....
गैस को बना लिया ढाल ....
जिसे हमने निर्भया, दामिनी , अमानत ,
ज्योति जैसे नामों से पुकारा ....
उसके जीने का संकल्प ,
सुस्त पड़ी , तरुनाई को अन्दर तक झकझोरा ....
निश्चित था ,अभी ये परखा जाना ....
निश्चित था ,अभी ये परखा जाना ....
जनाक्रोश के दबाब में ,सरकार के वादे का पूरा होना ....
सरकारी लापरवाही और
गैर-जिम्मेदारी का अहसास करना ....
त्वरित करवाई के लिए बाध्य किया जाना ....
लेकिन अभी बजट-सत्र के पहले ,
सभी चीजों का दाम बढ़ाना ....
मकसद है सब का ध्यान मुख्य मुद्दे से हटाना ....
मुश्किल नहीं इसका अंदाज लगाना ....

बेटे हो शहीद अपुन का क्या ....
हम बने रहेगें मुरीद,पाक का , क्या ....
सब कह रहे हैं , उन सपूतों ने शहादत दी है ....

लेकिन मैं कह रही हूँ ,
उनकी हत्या इस देश के नेता और
उन्हें समर्थन देने वालों (मेरा समर्थन नहीं है ,
क्यों कि मैं कभी vote नहीं दी ,
क्यों कि , नगरवधू सरीखे नेता
मुझे कभी भाये नहीं) ने की है ....
गलत नीति का नतीजा भी गलत ही होता है ....

दूध मागोगे खीर दूँगा ,
देश मागोगे चीर दूँगा ,
कहने वाले सपूत ,
कहीं इन नेता को ही चीर दें ....
नेताओं ने कल देश बाँटा ,
आज वे ढाका बाँटने वाले सपूत ,
लाहौर बाँटने की कुव्वत रखते हैं ....

जग जाओ नेताओं , हो जाओ शर्मसार ....
नहीं तो बच्चे जग गए ,तो हो जाओगे संगसार ....

व्याकुल हो बिसरा दें ,बेटी की आहुति ....
विरोध ना हो स्त्रिद्रोही तन्त्र का ??
प्रजातंत्र की रणनीति दे रही चुनौती ....
जो जनता अड़ी रही ,सीना ताने ,सामने ,पानी-बौछार ,
अश्रु-गैस और बन्दुक-गोली के ....
वो क्या अडिग नहीं रहेगी ,डर जायेगी ??,
महंगी हुई समान के बढ़ती दामों के बोली से ....
बना लो ,लगा लो अंधा कानून ,
जितना भी हो जोर-जबरदस्ती ....
हमने अंग्रेजो को उखाड़ फेकातेरी क्या है हस्ती ....

??????????????????????????????????


9 comments:

  1. हमने अंग्रेजो को उखाड़ फेका,तेरी क्या है हस्ती ....

    वाह ! क्या बात कह दी विभा जी
    ...जरुरत है एक जुटता की .....

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  2. वाह.बेह्तरीन अभिव्यक्ति .

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  3. दरअसल इन नेताओं को 'नेता' हमने (जनता ने) ही बनाया है।


    सादर

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  4. जग जाओ वो नेताओं , हो जाओ शर्मशार ....
    नहीं तो बच्चे जग गए,तो हो जाओगे संगसार ...

    आज जरूरत बस जागने की है,,,बहुत हो चुका,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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  5. अमन की आशा या अमन का तमाशा - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. इसी जोश और होश की मांग है ,,इस वक्त की !
    एक जुट होने की ...न हारने की ,न अपने मांग खोने की !
    शुभकामनायें!

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  7. महंगी हुई समान के बढ़ती दामों के बोली से ....
    बना लो ,लगा लो अंधा कानून ,जितना भी हो जोर-जबरदस्ती ....
    हमने अंग्रेजो को उखाड़ फेका , तेरी क्या है हस्ती
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति:
    New post : दो शहीद

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