साफ दर्पण में शक्ल देखने का हौसला नहीं बचा
दिखता है अपनी बेबसी ,व्यथित इंसानों की लाचारगी
खुद को तसल्ली दे भी लूँ ,क्या कह कर उन्हें तसल्ली दूँ
शेर का खाल पहन भी लूँ , खुश हो भी लूँ
दहाड़ने का मौसम भी है ,मौका-ये-दस्तुर भी
पूंछ हिलाने से फुरसत कैसे पा लूँ
मसाल को मंजिल पर पहुँचाना तो है
मार दिए जाने का ना तो डर ,ना शर्मिंदगी है
लेकिन ,रास्ते ना-वाकिफ हैं ,
लड़ाई के तरीके भूल जाना ,कैसे माफ़ करूँ
जिन्हें कोसते-कोसते सुबह-शाम करूँ
सब तकलीफों का जिम्मेदार मानूँ
जब वे भिक्षाटन में निकले तो मुग्ध हो ,
भिक्षा देने का गर्व क्यूँ महसूस करूँ
न्याय दिलाने के लिए ,कौन सा दरवाज़ा खटखटाऊँ
नर-भक्षियों का सामना कर ,सज़ा तक कैसे पहुँचाऊँ
छुटता जा रहा आस , नील का रंग कैसे उतारूँ
आत्मविश्वास के कमान पर स्वाभिमान का तीर कैसे चढ़ाऊँ
साफ दर्पण में शक्ल देखने का हौसला कैसे बढ़ाऊँ ............
बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteवोट बैंक पर देश न बेचो,अब तो कुछ अस्मत की सोचो
बहुत सह लिया अब न सहेंगें,जल्द सख्त क़ानून चाहिए,
आत्मविश्वास के कमान पर तीर कैसे चढ़ाऊँ
ReplyDeleteसाफ दर्पण में शक्ल देखने का हौसला कैसे बढ़ाऊँ
bahut khub
द्विविधा छोड़ निर्णय लेना ही पड़ेगा
ReplyDeleteNew post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!
बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteमन को विचलित कर गयी....
अनु
आत्मविश्वास के कमान पर तीर कैसे चढ़ाऊँ
ReplyDeleteसाफ दर्पण में शक्ल देखने का हौसला कैसे बढ़ाऊँ
behtreen
ये लाचारगी कैसी आगे तो बढ़्ना ही होगा..
ReplyDeleteआत्मविश्वास के कमान पर तीर कैसे चढ़ाऊँ ..... आत्मविश्वास है फिर तीर स्वयं निकलेंगे तरकश से
ReplyDeleteजिन्हें कोसते-कोसते सुबह-शाम करूँ
ReplyDeleteसब तकलीफों का जिम्मेदार मानूँ
जब वे भिक्षाटन में निकले तो मुग्ध हो ,
भिक्षा देने का गर्व क्यूँ महसूस करूँ
...बहुत सटीक प्रस्तुति..
सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !
ReplyDeleteआपके द्वारा यह लाजवाब प्रस्तुति जिसे पढ़ हम सराबोर हुए अब गुलशन-ए-महफ़िल बन आवाम को भी लुभाएगी | आप भी आयें और अपनी पोस्ट को (बृहस्पतिवार, ३० मई, २०१3) को प्रस्तुत होने वाली - मेरी पहली हलचल - की शोभा बढ़ाते देखिये | आपका स्वागत है अपने विचार व्यक्त करने के लिए और अपना स्नेह और आशीर्वाद प्रदान करने के लिए | आइये आप, मैं और हम सब मिलकर नए लिंकस को पढ़ें हलचल मचाएं | आभार
ReplyDeleteआत्मविश्वास के कमान पर स्वाभिमान का तीर कैसे चढ़ाऊँ
ReplyDeleteसाफ दर्पण में शक्ल देखने का हौसला कैसे बढ़ाऊँ ............
bahut khoob .. atyant marmsparshi rachna !