Friday, 13 June 2014
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स्फुरदीप्ति
क्या शीर्षक : ‘पूत का पाँव पालने में’ या ‘भंवर’ ज़्यादा सटीक होता? “ज्येष्ठ में शादी के लिए मैं इसलिए तैयार हुआ था कि ‘एक पंथ -दो लक्ष्य’ ब...
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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...
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“बड़े मामा! बड़े मामा! बुआ नानी बता रही थीं कि मझले नाना कुँआ में घुसकर नहाते थे! इस कुँआ को देखकर तो ऐसा नहीं लगता इसमें कभी पानी भी रहा हो...
बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत खूब !!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन फादर्स डे मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र और भाव ....
ReplyDeleteसुन्दर भावो के साथ सुन्दर चित्र..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दी और आपका चित्र तो बहुत ही बढ़िया लगा |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...........नमस्ते दी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और चित्र के साथ अभिव्यक्ति .... !!
ReplyDeletesach me apke shabdo me jaadu hai....
ReplyDeleteसुंदर ।
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