"दो ही रंग सत्य है बेगम! 'स्याह और सफेद'..। और वो भी ख़ुदा तय करने वाला होता है किस वक्त कौन से रंग से वास्ता रखना पड़ेगा।" हनीफ़ ने अपनी पत्नी को कहा।
"मोटे-मोटे किताबों से लेकर जो अक्ल आप बाँटते हैं न वो मेरे मगज़ में नहीं अटती है। यह वही हेयान है न , जो कभी हमारे बच्चे का अपहरण किया था फिरौती के लिए । आपको जान से मार देने की कोशिश किया था?" हनीफ़ की पत्नी की आवाज और आँखों में दर्द, गुस्सा, बेबसी साफ-साफ दिखलाई पड़ रहा था।
"इसका नाम हेयान नहीं हूमन है!" हनीफ़ ने कहा।
"इसका नाम कब बदल गया। क्या यह अपनी असलियत इस वजह से तो नहीं छुपा रहा कि दोबारा धोखा दे सके?"
"हूमन कुछ नहीं छुपा रहा है उसका नाम मैंने बदला है। उसने हमारे संग जब रहने का इरादा किया तो..।" हनीफ़ ने कहा।
"यह शराबी हमारे संग कैसे रह सकता है?"
"मत भूलो कफ सिरप और सैनिटाइजर में भी अल्कोहल है। वैसे हूमन पीना छोड़ देने का वादा किया है। उसका दिल सफेद हो रहा। हम स्याह को भूलने की कोशिश कर सकते हैं।" हनीफ़ की बातों से उसकी पत्नी सहमत हो रही थी और हूमन सधा दम को सम्भालने में व्यस्त दिखा।
सुन्दर । स्याह और सफ़ेद। रंगीन सेनेटाइजर भी उपलब्ध हैं।
ReplyDeleteस्याह और सफेद... दिल सफेद हुआ भी या सिर्फ दिखाया गया...और वादा जब निभाया भी जाय ...पाठक का विचार मंथन करती बहुत ही सुन्दर लघुकथा।
ReplyDeleteआदरणीया मैम ,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लघुकथा जो हमें व्यक्ति को क्षमा करके उसे एक नया अवसर देने का संदेश देती है। संसार में चाहे जितने रंग हों , व्यक्ति के ह्रदय के रंग तो दो ही हैं , स्याह या सफ़ेद। सादर नमन।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 20 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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