हम
मातृ, कन्या, बालिका, महिला, बेटी,
वृद्ध के संग हिन्दी दिवस भी मनाते हैं।
विलोपित को याद करते हैं या
सतत विलोपित में सहायक होने का त्योहार मनाते हैं
जिन शब्दों का हिन्दी तथाकथित क्लिष्ट नहीं है
उसका भी आंग्ल प्रयोग करते हैं और
सामयिक मांग गर्व से कहते हैं।
अधिकांशतः
उपहास उड़ाने वालों को
दर्पण भेंट देना भूल जाते हैं।
हिन्दी के वासी हिन्दी की बधाई देते हैं
इक दिवस की नहीं प्यासी हिन्दी
आंग्ल की है नहीं न्यासी हिन्दी
हँसते, रोते हैं कभी हम उदास होते हैं
सांस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।
आंचलिक शब्द हमें रास नहीं आते हैं
हम इन्हें हिन्दी का दुश्मन तलक बताते हैं।
और अंग्रेजी हेतु सूरदास होते हैं
सांस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।
कौन कितना गलत नहीं हमें बहस करनी है।
राष्ट्रभाषा हेतु प्रवाहित समर करनी है।
निर्णीत अपने धर्म का पालन सहर्ष करते हैं,
सांस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।
सच है|
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 19 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आपका
Deleteसब हिन्दी प्रेमियों के हृदय को सत्य एवं सुन्दर वाणी दिया है । सबों को अधिक उदार होने की आवश्यकता है अब हिन्दी के लिए ।
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-9-21) को "खेतों में झुकी हैं डालियाँ" (चर्चा अंक-4192) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार आपका
Deleteहिंदी उत्थान को नव ऊर्जा देती सुंदर सार्थक रचना ।आपको बहुत बधाई ।
ReplyDeleteकौन कितना गलत नहीं हमें बहस करनी है।
ReplyDeleteराष्ट्रभाषा हेतु प्रवाहित समर करनी है।
निर्णीत अपने धर्म का पालन सहर्ष करते हैं,
सांस हिन्दी है, सदा इसके पास होते हैं।
बिल्कुल सही कहा आपने आदरणीय मैम! उम्दा रचना!
राष्ट्रभाषा हेतु प्रवाहित समर करनी है।
ReplyDeleteजी मेम अपनी मातृ और राष्ट्र भाषा के लिये जरूर समर करना है ।
बेहतरीन रचना । बहुत बधाइयाँ ।