"शनिवार रात्रि 12 बजे तक ही प्रतियोगिता हेतु रचना पोस्ट करने की अनुमति थी... रचना रविवार को पोस्ट हुई... और विजेता के लिए चयन कर ली गयी... क्या आप चकित नहीं हो गयी..?"
"तभी मुझे लगा कि शनिवार को मैं सब रचनाएँ पढ़ी थी। पर यह मुझसे छूट कैसे गयी..! आप उन्हें लिखें दी। सर भी तो उस समूह में एडमिन है।"
"जब रविवार को रचना दिखलायी दी तभी मुझे तो परिणाम का अंदाज़ा हो गया था..। आपके सर जी भले विधा के ज्ञाता हों लेकिन ईमान के पक्के नहीं लगते...। शनिवार की देर रात्रि की प्रस्तुति का कह देगा लोग..,"
"कितनी बार मैं शनिवार रात 11:30 के समय अपनी रचना पोस्ट की हूँ तो वह शामिल नहीं की गई है।"
"आप उनके कुनबे (लॉबी) की नहीं हैं...। ऊँची दूकान...,"
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 23 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
Deleteदुकान जरुरी है :)
ReplyDeleteलॉबी व्यवस्था पर गहरी चोट करता लेख, मुखर प्रश्न ।
ReplyDeleteप्रतिस्पर्धा में पक्षपात ? !!
ReplyDeleteनिष्पक्ष चयन न हो तो प्रतिस्पर्धा का मतलब ही क्या....?
उनके कुनबे का होना पड़ेगा ?