"सावन माह में रिमझिम व तेज बरसात होती है। मगर इस बार सावन में सूखा पड़ जाने से गर्मी व उमस में निकल रहा है।"नूतन जैन ने कहा।
"खरीफ की फसल को जलता देख बारिश की कामना को लेकर जगह-जगह पर सामूहिक सहयोग से 24 घंटे की अखण्ड रामधुनी का, रात जागरण का आयोजन किया जाता, बालाजी की भव्य झांकी सजाई जाती है।"मीरा सिंह ने कहा।
"बरसात के लिए पेड़ों की अहम भूमिका होती है..सागौन, देवदार, आम, नीम, वट वृक्ष, पीपल शीशम के पौधे हम लगा.., अरे आपकी छतरी वाली टोपी तो बहुत ही सुन्दर लग रही है आपदोनों पर जँच भी रही है। कहाँ से और कितने में लीं?" नूतन जैन ने पूछा
संगनी क्लब की ओर से आयोजित पौधा रोपण कार्यक्रम में शामिल सँगनियों चरमोत्कर्ष पर हर्षोल्लासित नूतन जैन, सीमा अग्रवाल, मीरा सिंह , सुषमा माथुर, रंजना सिन्हा इत्यादि का ध्यान बदले विषय की ओर चला गया।
"बिग बाजार से तीन सौ में।" मीरा सिंह ने कहा।
पौधा रोपण आयोजन समाप्ति के बाद घर वापसी पर मीरा सिंह को सीमा अग्रवाल ने अपने सवालों के घेरे में लिया,"इसलिए आप बिग बाजार में सदृश टोपी देखकर उछल पड़ी थीं। वो तो लेख्य मंजूषा की ओर से पुस्तक लोकार्पण में हम नालन्दा भग्नावशेष देखने गए थे, नसीम अख्तर जी के मोल भाव के बाद दुकानदार ने मछलकर सौ-सौ रुपये में हमें टोपी दिया था । उस दिन आप दुकानदार को टोपी पहना देने पर व्यंग्य कर रही थीं.. आज नूतन जैन जी को भी टोपी...,"
:) सुन्दर
ReplyDeleteसच है हाथी दांत खाने और दुखाने के अलग-अलग
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सामयिक वार्ता प्रस्तुति
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
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