#शिक्षक नहीं बनी... अपनी शिक्षा के लिए ऋणी हूँ...
अवसर है बाँटने का
'ज्ञान"
"पिता जी के श्राद्ध के दिवस के लिए मैं इक्कीस पण्डित को न्योता दे आया हूँ.."
"इक्कीस पण्डित से क्या होगा भैया कम से कम इक्यावन पण्डित को बुलाया जाएगा..,"
"यह तो सही नहीं है बुआ...। ग्यारह पण्डित को बुलाना सही होता..., जब एक पण्डित तीन-तीन थाली भोजन लेते हैं तो इक्यावन पण्डित के लिए कितने थाली... "
"यह हमें निर्णय करने दो। बड़ों के बीच में तुम नहीं बोलो। तुमने दुनिया देखी ही कितनी है?"
"हमें दुनिया दिखलाने वाले ने ही बतलाया है कि महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुँची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए। कर्ण की आत्मा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था , उसे आहार की आवश्यकता थी।
उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया जा रहा है। तब देवता इंद्र ने कर्ण को बतलाया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया। तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सका।
इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और उसे सोलह दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जिससे वह अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया।"
"तुम्हें सत्य बतलाया गया है। इसलिए तो मैं कह रही हूँ कि ज्यादा से ज्यादा पंडितों को बुलाया जाए..,"
"इसमें दादा को क्या मिलेगा.. दादा को तो वही मिलेगा जो उन्होंने अपने जीवन में...,"
हार्दिक आभार
ReplyDeleteशुभकामनाएं शिक्षक दिवस की
ReplyDeleteअति सुन्दर ज्ञान बाँटा है । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सार्थक ज्ञान।
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